बात जब फूड कंपनी की हो। तो सबके दिमाग में Domino's और KFC जैसे ब्रांड का नाम आता है। आपको मैं बता दूं कि हल्दीराम जो कि अपने देश भारत की ही कंपनी है। आज के समय में बड़े-बड़े कंपनियों को टक्कर देती है। एक छोटी सी दुकान से शुरू हुई हल्दीराम आज बहुत बड़ी ब्रांड बन गई है। यह हल्दीराम कंपनी आज के समय में 80 से ज्यादा देशों में अपनी कंपनी खोल रखी है। अपनी पहली दौर में हल्दीराम ने बहुत ही मुसीबतों का सामना किया था। तब कहीं जाकर आज इतनी बड़ी कंपनी खड़ी कर पाए हैं। हल्दीराम नाम की शुरुआत बीकानेर के राजस्थान बनिए के परिवार से हुई थी। तनसुखदास किसी भी तरह वह अपना परिवार को दो वक्त की रोटी जुटा पाते थे। भारत की आजादी के करीब 50 से 60 साल पहले अपने परिवार के जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करते थे।
उनकी भुजिया बाजारों में बिकने वाली भुजिया से कुछ खास नहीं थी। इसीलिए हल्दीराम ने अपनी भुजिया के टेस्ट को बढ़ाने के लिए। उस में कुछ बदलाव किए। इस नए तरीके की भुजिया लोगों को बहुत पसंद आने लगी। क्योंकि यह बाकी भुजियो के मुकाबले इनकी भुजिया अलग और टेस्टी भी थी। हल्दीराम के इस भुजिया को लोग पसंद ही करने लगे थे। तभी हल्दीराम के घर में परिवारिक झगड़े होने लगे। और वह परिवार से अलग हो गए। परिवार से अलग होने के बाद उन्होंने बीकानेर में साल 1937 में एक छोटी सी नाश्ते की दुकान खोली। और बाद में उन्होंने भुजिया बेचना शुरू कर दिया। हल्दीराम हर बार अपनी भुजिया का टेस्ट बदलने के लिए। वह भुजिया में कुछ ना कुछ डालते रहते थे। और इस बार उन्होंने छोटी-छोटी भुजिया बनाया। और टेस्टी भी इस तरह की भुजिया अभी तक मार्केट में नहीं आई थी। जब लोगों ने इसे खा कर देखा तो लोगों को यह भुजिया बहुत काफी पसंद आया। हल्दीराम की भुजिया को खरीदने के लिए लोगों की लंबी-लंबी लाइनें लगने लगी। पूरे शहर में उनकी दुकान भुजिया वाले के नाम से प्रसिद्ध हो गई। और बाद में उन्होंने दुकान का नाम हल्दीराम यानी अपने नाम पर रख दिया। इस तरह से हल्दी हल्दीराम का बिजनेस बढ़ता ही जा रहा था। दूर-दूर तक पहुंचने के लिए। उन्होंने अपनी भुजिया का नाम डूंगर सेव रख दिया। उन्होंने इस भुजिया का नाम बीकानेर के महाराजा डूंगर सिंह के नाम पर रखा था।
इस वजह से उनकी भुजिया भी मार्केट में फेमस हो गई। साल 1941 तक हल्दीराम की नमकीन उनके आसपास के क्षेत्रों में काफी पसंद आने लगी लोगों को। हल्दीराम अपनी भुजिया को पूरे देश में फैलाना चाहते थे। एक बार वह कोलकाता किसी रिश्तेदार की शादी में गए थे। और वह अपना भुजिया भी साथ में लेकर गए थे। और उन्होंने अपनी भुजिया को रिश्तेदारों में खिलाया और काफी रिश्तेदारों को पसंद भी आया। उनके रिश्तेदारों ने कोलकाता में भी दुकान खोलने को कहा। और उन्होंने कोलकाता में भी एक दुकान खोल दी। देखते ही देखते वहां पर भी दुकान पर भीड़ बढ़ने लगी।
और फिर बाद में हल्दीराम के पोते शिवकुमार और मनोहर ने दुकान संभालना शुरू कर दिया। साल 1970 में उन्होंने पहला स्टोर नागपुर में खुला। इसके बाद दिल्ली में भी 1982 में खोला। और मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लग गई। और इसके बाद पूरे भारत भर में हल्दीराम की भुजिया पहुंचने लगी। देखते ही देखते हल्दीराम की डिमांड बाहर के देशों में भी होने लगी। और तब जाकर हल्दीराम ने अपने व्यापार को बाहर के देशों में लगाने का विचार किया। और इस तरह से हल्दीराम आज तक No.1 कंपनी बन गई है।
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